की हद – दुमका में पांच बच्चों की मां के साथ 17 दरिंदों ने किया दुष्कर्म
फास्ट ट्रैक कोर्ट से जल्द न्याय दिलाने की गुहार
संगठनों ने दुमका दुष्कर्म की जांच फास्ट ट्रैक कोर्ट के जरिये दो महीने में पूरी करने और पीड़ित दंपति को अविलंब मुआवज़ा दिये जाने की भी मांग की है. अन्य मांगों में सरकार से झारखंड की जेंडर नीति तैयार करने, जस्टिस वर्मा समिति की सिफारिशों को लागू करने तथा निर्भया एक्ट के फंड के तहत झारखंड में प्रोजेक्ट तैयार किये जाने की भी बात कही गई है. मांग पत्र में कहा गया है कि निर्भया फंड के तहत झारखंड के पास कुल 1569.81 लाख रुपये का फंड है, जिसका इस्तेमाल लैंगिक हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा के लिए किया जाना है. संगठनों ने लैंगिक हिंसा से सुरक्षा के दायरे में ट्रांसजेंडरों को भी शामिल करने की मांग की है.प्रशासन में दुष्कर्म की घटनाओं के प्रति संवेदनशीलता की कमी
आदिवासी वीमेंस नेटवर्क की प्रेसिडेंट एलिना होरो ने कहा कि “बलात्कार लैंगिक हिंसा का सबसे घिनौना रूप है. प्रशासन में लैंगिक हिंसा और दुष्कर्म जैसी घटनाओं के प्रति संवेदनशीलता की कमी नजर आती है. ऐसी घटनाओं में कहीं न कहीं प्रशासन भी जिम्मेदार है. इस सोच को बदलने के लिए जेंडर संवेदनशीलता को सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन के हर स्तर में लाने की जरूरत है." प्रदर्शन के दौरान एलिना होरो ने कहा कि लैंगिक हिंसा जैसी चीजों को स्कूली पाठ्यक्रम में जोड़ा जाना चाहिए, जिससे भविष्य में ऐसी घटनाएं कम हो सकें. इसे भी पढ़ें- झारखंड">https://lagatar.in/criminal-incidents-decreased-in-jharkhand-incidents-of-rape-increased/7084/">झारखंडमें अपराधिक घटनाओं में आयी कमी, दुष्कर्म की घटनायें बढ़ी सिराज दत्ता ने कहा, "ज़रूरत है कि सरकार पुलिस और प्रशासन को स्पष्ट संदेश दे कि वे पीड़ित को शिकायत दर्ज करने में सहयोग करें, और अपराधियों की रक्षा न करें. सरकार को सिविल सोसाइटी संस्थाओं के साथ लगातार बातचीत रखने की आवश्यकता है. ऐसे मुद्दों पर स्कूल-कॉलेजों में जेंडर ट्रेनिंग दी जानी चाहिए."